Tuesday, July 20, 2010
Saturday, July 17, 2010
Thursday, July 15, 2010
महंगाई
सखी सईयां तो खूब ही कमात हैं, महंगाई डायन खाय जात है।
जी हां ये गाना आमिर खान की अगली फिल्म पिपली लाइव से है।
ये गाना फिल्मी कम एक आम आदमी का दर्द बयां करता ज्यादा लगता है।
फिल्म रिलीज़ से पहले ही खुब सुर्खियां बटोर रही है,यहां तक कि विपक्षी दल या कहैं समुचा विपक्ष इस गाने के कॉपी राइट अधिकार खरीदकर कॉंग्रेस के खिलाफ चुनावी हथियार के तौर पर इस्तैमाल करने की जुगत लगा रहे हैं। ये तो इस गाने को गली गली, नुक्कड़ नुक्कड़, गांव गांव में बजाना चाहते हैं। ऐसे गाने भारतीय हिंदी फिल्मोद्दोग कम नजर आते हैं, पर
यकीन जानिए यह गाना सरकार की नाक में दम कर सकता है। ये बात अलग है कि आमिर ने अभी तक अधिकार बेचे नहीं हैं।
यह फिल्म आम आदमी जो महंगाई की मार झेल रहा है और दिन प्रतिदिन आत्महत्या कर रहे किसानों पर जरूर आधारित है, लेकिन इसका प्रीमियर ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में होगा जिसमें लाखों करोड़ों का लम्बा खर्च होगा। बताइए महंगाई और भुखमरी की मार झेल रहे किसानों का दर्द बयां करती फिल्म इतने खर्चने के बाद पर्दे पर आएगी। फिल्म चलेगी भी करोड़ों कमाएगी भी, दो चार दिन महीने प्रशंसा भी मिलेगी, आमिर और उनकी टीम को अवार्डों से नवाज़ा भी जाएगा। कहानी खत्म.......
आम आदमी और किसान का दर्द वहीं का वहीं कोई बदलाव नहीं, पीठ और पेट एक हो चले हैं। आस के सिवाय और कोई चारा भी नहीं है।
जी हां ये गाना आमिर खान की अगली फिल्म पिपली लाइव से है।
ये गाना फिल्मी कम एक आम आदमी का दर्द बयां करता ज्यादा लगता है।
फिल्म रिलीज़ से पहले ही खुब सुर्खियां बटोर रही है,यहां तक कि विपक्षी दल या कहैं समुचा विपक्ष इस गाने के कॉपी राइट अधिकार खरीदकर कॉंग्रेस के खिलाफ चुनावी हथियार के तौर पर इस्तैमाल करने की जुगत लगा रहे हैं। ये तो इस गाने को गली गली, नुक्कड़ नुक्कड़, गांव गांव में बजाना चाहते हैं। ऐसे गाने भारतीय हिंदी फिल्मोद्दोग कम नजर आते हैं, पर
यकीन जानिए यह गाना सरकार की नाक में दम कर सकता है। ये बात अलग है कि आमिर ने अभी तक अधिकार बेचे नहीं हैं।
यह फिल्म आम आदमी जो महंगाई की मार झेल रहा है और दिन प्रतिदिन आत्महत्या कर रहे किसानों पर जरूर आधारित है, लेकिन इसका प्रीमियर ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में होगा जिसमें लाखों करोड़ों का लम्बा खर्च होगा। बताइए महंगाई और भुखमरी की मार झेल रहे किसानों का दर्द बयां करती फिल्म इतने खर्चने के बाद पर्दे पर आएगी। फिल्म चलेगी भी करोड़ों कमाएगी भी, दो चार दिन महीने प्रशंसा भी मिलेगी, आमिर और उनकी टीम को अवार्डों से नवाज़ा भी जाएगा। कहानी खत्म.......
आम आदमी और किसान का दर्द वहीं का वहीं कोई बदलाव नहीं, पीठ और पेट एक हो चले हैं। आस के सिवाय और कोई चारा भी नहीं है।
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