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Friday, October 15, 2010

cwg जांच के मायने

आखिरकार राष्ट्रमण्डल खेल सफलता एवं शान्तिपूर्वक सम्पन्न हो गये। ओपनिंग और क्लोजिंग सेरेमनी में रंगारंग भारतीय संस्कृति और परम्परा के अनुरूप कार्यक्रम पेश किये गये, जिसने विश्व भर के करोड़ों दर्शकों का मन मोह लिया, भारतीय सभ्यता को इक अलग नई पहचान मिली और दुनिया ने जाना। इंटरपोल ने भारतीय सुरक्षा इजेंसियों की तारीफ की, OC चेयरमेन फेनेल ने भी आयोजन और व्यवस्थाओं की तारीफ की, विदेशी इथलीटों ने भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सुविधाओं का भरपूर आनंद लिया और समापन के साथ ही अपने देशों को रवाना हो गए।
लेकिन इन सब के बावजूद एक सवाल यह उठता है कि 3 अक्टूबर से पहले जो पैसे के बंदरबांट और लूटखसोटी का मामला सामने आया था, और जिन्हें इन खेलों के आयोजन का जिम्मा सौंपा गया था क्या उन पर भारत सरकार और न्याय पालिका उचित कदम उठा पाएंगे, उन दोषियों पर कार्यवाही करेंगे जिन्होने भारत की छवि को धूमिल किया था?
मीडिया के मुताबिक खेलों में तकरीबन एक लाख करोड़ रुपये खर्च किए गये हैं। जो कि विश्व भर में किसी खेल आयोजन में खर्च की गई अब तक की सबसे बड़ी धन राशि है। 2003 में जब भारत को इन खेलों की मेज़बानी सौंपी गई थी तब यह बजट मात्र 767 करोड़ रुपये था जो बाद में चलकर एक लाख करोड़ तक पहुंचा। एक नज़र डाल लेते हैं 767 करोड़ से 1,00,000 करोड़ के इस लम्बे सफर पर।


वर्ष सरकार बजट अनुमानित कमाई
2003 NDA 767 cr 1000 cr
2005 UPA 1260 cr
2008 UPA 11494 cr 15000 cr
2009 UPA 21700 cr 35000 cr
2010 UPA 27894 cr 40000 cr
2010 UPA 44000 cr 1,00,000 cr
2010 UPA 1,00,000 cr 4-5 lakh cr

जिस तरीके से इस बजट ने तरक्की की उसी तरीके से भ्रष्टाचार की बू भी बढ़ने लगी। और भारत का यह अब तक का सबसे बड़ा घोटाला माना जा रहा है।

केंद्रीय मंत्री एवं कांग्रेस सांसद अय्यर ने कहा, “प्रधानमंत्री ने कहा है कि खेल ख़त्म होते ही जो ग़लतियां हुईं हैं...जो ख़ामियां रहीं हैं, उनकी जांच की जाएगी और यदि किसी किस्म का भ्रष्टाचार हुआ होगा तो उसको सामने लाएंगे और सख़्त दंड दिया जाएगा. मैं उम्मीद रखता हूं कि अब जबकि ये सर्कस ख़त्म हो चुका है जांच शुरू की जानी चाहिए।

सवाल यह है कि न्याय पालिका आम जनता के टैक्स के पैसे के दुर्पुयोग के दोषियों को सजा दे पाएगा?
और क्या इन दोषियों पर कार्यवाही करने का मतलब धूल में लाठी चलाने जैसा है?
पहले से ही हजारों केस कतार में हैं, कहीं इन पर भी कार्यवाही करना समय और की धन की बर्बादी तो नहीं?