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Saturday, June 4, 2011

अनशन होकर रहेगा

समझ नहीं आता कि विनोद दुआ बाबा का समर्थन कर रहे है या विरोध। जब भी कभी बाबा रामदेव अपनी आवाज बुलंद करते हैं वहीं विनोद दुआ उनकी टांग खींचने के लिए तैयार हो जाते हैं। और टीवी पर ऐसी ऐसी दलील देते हैं जिनका कोई औचित्य नहीं होता, कोई सीनियर पद्मश्री पत्रकार ऐसी बातें करे तो शोभा नहीं देता। आज तो हद ही हो गई, सीधा प्रहार करने की हिम्मत नहीं हुई तो शाह रुख को सामने लाकर खड़ा कर दिया। और शाह रुख ने क्या क्या कहा वह सब अपनी जुबान में बयां किया। भई शाहरुख कौन होता है बाबा के अनशन के बारे में कहने वाला। शायद विनोद दुआ शाहरुख खान की लोकप्रियता को भुनाना चाह रहे थे। और खान के कंधे पर रख कर बाबा रामदेव पर गोली चला रहे थे।

आप विनोद दुआ हमेशा बाबा को योग तक ही सीमित रहने की सलाह देते आए हैं और राजनीति से दूर रहने की सलाह देते आए हैं। और उनकी तुलना देश के तमामा छोटे छोटे महंत बाबाओं से करते आए हैं। शायद आपको रास नहीं आता कि किसी बाबा को इतनी लोकप्रियता मिले। लेकिन शाहरुख को इस पचड़े में लाने का क्या मतलब था उनसे क्यों नहीं कहा कि आप फिल्मों तक ही रहें। लोगों की शादियों और पार्टीयों में नाचें आपका वही काम है। बाबा पर सीधी टिप्पड़ी तो कर नहीं सकते। शाहरुख आजकल के लोंडे लोंडियों में पूजे जाते हैं तो क्यों न इन्हीं के सहारे बाबा पर हमला किया जाए।

बाबा तो बाबा आपने अन्ना को भी नहीं बख्शा, उनको अनपढ़ तक कह डाला। अग्निवेश से सवाल करते समय आपने यह तक पूछ डाला ''जिस तरह अन्ना को इंगलिश नहीं आती क्या उसी तरह वे हिंदी में भी कमजोर हैं''। और उनके बाबा के अनशन में शामिल होने के सवाल पर यहां तक कह डाला कि ''अगर अन्ना गए तो वे बिन बुलाए मेहमान होंगे''। क्या उनको इतना नहीं पता कि जिस कारण बाबा अनशन पर बैछ रहे हैं वह उनकी निजी समस्या नहीं है। वह देश की समस्या है और देश के हर नागरिक का उससे सरोकार है। वहां बुलाने और न बुलाने का तो कोई सवाल ही नहीं पैदा होता। वहां पूरे देश को एकत्रित होना चाहिए।

बाबा और अन्ना जिस उद्देश्य के साथ मैदान में उतरे हैं वह उनका या उनके परिचितों का कोई निजी स्वार्थ नहीं है। वह देश हित में है यह पबात हर देश वासी भली भांति जानता होगा। आज जिस तरह से भ्रष्टाचार देश की जड़ों में पैर जमाए बैठा हुआ है। जिस तरह देश का पैसा टैक्स हैवन कंट्रीज में भेजा जा रहा है। आंकड़ों के अनुसार अब तक 18000 अरब रुपए व्लैक मनी देश से बाहर जा चुका है। एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार 1948-2008 तक 20 लाख करोड़ रुपए देश से बाहर जा चुका है, और वर्ल्ड बैंक के अनुसार देश के भीतर 15 लाख करोड़ रुपए ब्लैक मनी की पैरेलल इकॉनमी चलती है। 66446 अरब रुपए स्विस बैंकों में जमा हैं। वहीं 465-517 अरब रुपए ब्लैक मनी देश में चुनाव के दौरान पनपती है। वहीं अगर भ्रष्टाचार की बात करें तो देश के 54% लोगों ने स्वीकारा है कि उन्होने अपने काम को करवाने के लिए घूस का सहारा लिया है। देश का हर तंत्र आज भ्रष्ट है चाहे वह पॉलिटिक्स हो, पुलिस हो, ज्यूडिसरी हो, एनजीओ हो,प्राइवेट सेक्टर हो, गवर्मेंट सेक्टर हो। आज देश विश्व के सबसे भ्रष्ट देशों की सूची में 87वें पायदान पर आ गया है और अगर ऐसा ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं 178 वें पायदान पर पहुंच कर नाम रोशन करे। और जब हम घर से बाहर निकलें तो सर नीचा हो। इससे पहले कि कोई ऐसा दिन आए जागो नागरिक जागो। वैसे इस देश में नागरिक अब उपभोक्ता हो चला है। खैर कुछ भी हो लेकिन वह रहेगा नागरिक ही। भला अब भी कोई वजह बचती है इन मुद्दों के खिलाफ न खड़े होने की।

मैं बाबा और अन्ना को व्यक्तिगत तौर पर नहीं जानता लेकिन इतना जरूर समझता हूं कि आज जिस कारण वे खड़े हुए हैं। उसमें मेरा और मेरे देश का हित निहित है। और मैं उनका समर्थन करता हूं।